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6 अगस्त 2025 का पंचांग: (जानिए शुभ मुहूर्त, राहुकाल और प्रदोष व्रत का महत्व)

Today, Panchang 6 August 2025 का संपूर्ण पंचांग

आज का दिन — 6 अगस्त 2025, बुधवार — आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष है क्योंकि आज श्रावण शुक्ल द्वादशी और बुध प्रदोष व्रत का पावन संयोग बन रहा है। इस दिन भगवान शिव की पूजा, उपवास और रात्रि में प्रदोष काल में आरती करना शुभ फलदायक माना जाता है। आज के पंचांग में हम जानेंगे दिन की तिथि, नक्षत्र, योग, राहुकाल, शुभ मुहूर्त और व्रत-त्योहारों की पूरी जानकारी, ताकि आप अपने दिन की शुरुआत धर्म और शुभता के साथ कर सकें। धार्मिक आस्था रखने वालों के लिए यह दिन विशेष रूप से पूजा, जप और ध्यान का उत्तम अवसर है।

  • तिथि: श्रावण शुक्ल द्वादशी (दिन तक), त्रयोदशी रात्रि 3:57 AM तक
  • मास: श्रावण (अमान्ता)
  • विक्रम संवत्: 2082 (कलायुक्त), शक संवत्: 1947 (विश्वावसु)

सूर्यास्त: लगभग 08:22 PM

सूर्योदय: लगभग 06:57 AM

  • नक्षत्र: पूर्वाषाढ़ा – 03:31 AM तक (फिर उत्तराषाढ़ा)
  • योग: विष्कम्भ योग – रात्रि 8:13 PM तक
  • करण: कौलव – दिन 3:52 PM तक; तत्पश्चात तैतिल करण रात्रि तक
  • राहुकाल: लगभग 12:32 PM – 02:10 PM
  • यमगण्डम: 07:40 AM – 09:18 AM
  • गुलिका काल: 10:55 AM – 12:32 PM
  • दुर्मूहूर्त: 12:06 PM – 12:58 PM
  • Amrit Kaal: 06:14 AM – 07:57 AM
  • ब्राह्म मुहूर्त: 05:33 AM – 06:15 AM
  • विजय मुहूर्त: 03:54 PM – 04:47 PM

Day Choghadiya (from sunrise):

  • Labh (06:03–07:40), Amrut (07:40–09:18), Kaal (09:18–10:55), Shubh (10:55–12:32), Rog (12:32–2:10), Udveg, Char, Labh again till sunset

Night Choghadiya: Shubh, Amrut, Char, Rog, Kaal, Labh & Udveg as per local cycle

  • बुधा प्रदोष व्रत – शास्त्र अनुसार आज विशेष व्रत का दिन है
  • कोई एकादशी नहीं, महान व्रत नहीं घट रहा।
  • श्रावण द्वादशी दिन भर है, त्रयोदशी रात्रि में आरंभ।
  • राहु, यमगण्डम, और गुलिका काल में कोई शुभ कार्य न करें।
  • सुबह के समय (ब्राह्म मुहूर्त) और शाम से पहले (विजय मुहूर्त) कार्य शुभ माने जाते हैं।
  • बुधा प्रदोष व्रत योग बन रहा है, व्रत रखने वालों के लिए शुभ समाचार।

यह लेख हिंदू धर्म की परंपरागत ज्योतिषीय गणनाओं और पंचांग आधारित जानकारी पर आधारित है। इसमें प्रस्तुत तिथियाँ, मुहूर्त और योग आमतौर पर माने जाने वाले स्रोतों पर आधारित हैं, जो स्थान विशेष के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान, व्रत या पूजन से पहले स्थानीय पंचांग या योग्य पंडित से परामर्श अवश्य लें। यह लेख केवल जानकारी और मार्गदर्शन हेतु लिखा गया है।

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