भगवान विष्णु हिन्दू धर्म के प्रमुख त्रिदेवों में से एक हैं, जिन्हें सृष्टि के पालनकर्ता माना जाता है। वे संतुलन, धर्म और सत्य की रक्षा करते हैं। जब भी धरती पर अधर्म बढ़ता है, भगवान विष्णु अवतार लेकर पृथ्वी की रक्षा करते हैं। उनके दशावतारों में राम, कृष्ण, नृसिंह, वामन आदि प्रसिद्ध हैं। भगवान विष्णु को शांत मुद्रा में शेषनाग पर शयन करते हुए दिखाया जाता है। उनके चार हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म होते हैं। भक्त उन्हें ‘श्रीहरि’ या ‘नारायण’ के नाम से भी पूजते हैं। विष्णु जी की पूजा से जीवन में स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त होती है। विशेष रूप से एकादशी, वैशाख मास, और पुराणिक कथाओं में उनका उल्लेख अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। उनके भक्तों का मानना है कि जो व्यक्ति भगवान विष्णु की आरती करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
जो ध्यावे फल पावे,
दुख विनसे मन का।
स्वामी दुख विनसे मन का,
सुख संपत्ति घर आवे
कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे…
मात-पिता तुम मेरे,
शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी,
तुम बिन और न दूजा
आस करूं मैं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अंतर्यामी।
स्वामी तुम अंतर्यामी,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे…
आरती विष्णु भगवान की,
जो कोई जन गावे।
कहत शिवानंद स्वामी,
मनवांछित फल पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे…