Sakat Chauth Vrat Katha: सकट चौथ व्रत कथा
सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश को समर्पित एक विशेष व्रत है, जिसे मुख्य रूप से माताएँ अपनी संतान की रक्षा, दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। यह व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है और इसे संकष्टी चतुर्थी का ही एक विशेष रूप माना जाता है। सकट चौथ की कथा न केवल धार्मिक है, बल्कि माता की ममता और भगवान गणेश की कृपा को भी दर्शाती है।
सकट चौथ व्रत की पौराणिक कथा
प्राचीन समय की बात है। एक नगर में एक निर्धन ब्राह्मण दंपत्ति रहता था। उनके जीवन में सब कुछ था, लेकिन संतान सुख नहीं था। वे दोनों भगवान गणेश के अनन्य भक्त थे और प्रतिदिन श्रद्धा से उनकी पूजा किया करते थे।
एक वर्ष माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी आई। उस दिन ब्राह्मण की पत्नी ने संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा और पूरे मन से भगवान गणेश की पूजा की। रात्रि में चंद्रमा के दर्शन कर व्रत खोलने के बाद उसने गणेश जी से संतान सुख की प्रार्थना की।
कुछ समय बाद भगवान गणेश की कृपा से उनके घर एक पुत्र का जन्म हुआ। माता-पिता बहुत प्रसन्न हुए और श्रद्धा के साथ हर वर्ष सकट चौथ का व्रत रखने लगे।

संतान पर आया संकट
समय बीतता गया और बालक बड़ा होने लगा। एक दिन किसी कारणवश उस बालक पर भारी संकट आ गया और उसकी मृत्यु हो गई। माता का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। उसने भगवान गणेश से पुकार कर कहा कि आपने ही मुझे यह संतान दी थी, अब उसे वापस ले लिया।
माता की सच्ची भक्ति और करुण पुकार सुनकर भगवान गणेश प्रकट हुए। उन्होंने माता से कहा कि वह माघ मास की कृष्ण चतुर्थी को विधिपूर्वक सकट चौथ का व्रत करे और चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोले।
माता ने पूरे नियम और श्रद्धा से सकट चौथ का व्रत किया। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उसके पुत्र को पुनः जीवनदान दिया।
कथा से मिलने वाला संदेश
इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि:
माता की ममता सबसे बड़ी शक्ति होती है
सच्ची श्रद्धा और विश्वास से भगवान भी प्रसन्न हो जाते हैं
सकट चौथ का व्रत संतान की रक्षा और कल्याण के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है
इसी कारण यह व्रत विशेष रूप से माताओं द्वारा किया जाता है।
सकट चौथ व्रत का धार्मिक महत्व
सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश को प्रसन्न करने वाला माना जाता है। इस दिन:
संतान की बाधाएँ दूर होती हैं
परिवार में सुख-शांति बनी रहती है
जीवन के संकट कम होते हैं
गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है
सकट चौथ व्रत कथा का सारांश
सकट चौथ व्रत कथा माता की भक्ति, संतान के प्रति प्रेम और भगवान गणेश की करुणा का प्रतीक है। यह कथा हमें सिखाती है कि श्रद्धा, संयम और विश्वास से किए गए व्रत कभी निष्फल नहीं जाते। इसी कारण सकट चौथ का व्रत आज भी पूरे भारत में श्रद्धा से मनाया जाता है।
Disclaimer (अस्वीकरण)
यह कथा धार्मिक मान्यताओं और पुराणों पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी की पुष्टि ramshalak नहीं करता। इसका उद्देश्य केवल धार्मिक और सांस्कृतिक जानकारी देना है।
