माँ दुर्गा शक्ति और रक्षा की देवी हैं। ‘जय अम्बे गौरी’ आरती में उनके नव रूपों की महिमा का वर्णन है। यह आरती नवरात्रि, अष्टमी, दुर्गा पूजा, या किसी भी माँ की उपासना के अवसर पर गाई जाती है।
जो भक्त श्रद्धा से इस आरती का पाठ करता है, उसके जीवन से नकारात्मकता दूर होती है और आत्मविश्वास, साहस तथा सुख-समृद्धि का वास होता है।

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी…
चन्द्रमुखी और ललाट पे बिंदु विराजे,
कनक सम अंग शारदे, कोटि रवि तेज साजे॥
जय अम्बे गौरी…
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर मारे,
धूम्र-विलोचन नैना, सिंहवाहन सवारी॥
जय अम्बे गौरी…
सुर नर मुनि जन सेवें, करत सदा आरती,
जगदम्बा भवानी, जय जय अंबे गौरी॥
जय अम्बे गौरी…
जो यह गावे आरती, माँ की महिमा गावे,
कहत ‘नन्ददास’ मनवांछित फल पावे॥
जय अम्बे गौरी…