
छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित हिंदू धर्म का एक प्रमुख और प्राचीन पर्व है। यह पर्व खासकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। आज के समय में प्रवासी भारतीय भी विदेशों में इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
छठ पूजा की सबसे खास बात यह है कि इसमें न कोई पंडित की आवश्यकता होती है, न किसी बड़े आयोजन की। हर भक्त अपने घर या घाट पर पूरी शुद्धता और अनुशासन के साथ सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करता है। इस पर्व को प्रकृति, शुद्धता, अनुशासन और कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है।
छठ पूजा 2025 की तिथि
साल 2025 में छठ पूजा सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 से शुरू होकर गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025 तक मनाई जाएगी।
चार दिनों का यह पर्व इस प्रकार है:
- 20 अक्टूबर 2025 – नहाय-खाय
- 21 अक्टूबर 2025 – खरना
- 22 अक्टूबर 2025 – संध्या अर्घ्य
- 23 अक्टूबर 2025 – उषा अर्घ्य
छठ पूजा के चार दिन विस्तार से
1. नहाय-खाय (20 अक्टूबर 2025)
इस दिन व्रती शुद्ध जल में स्नान करके घर लाते हैं। इसके बाद घर में शुद्ध और सात्त्विक भोजन बनता है। व्रती केवल उसी भोजन को ग्रहण करता है। इससे शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है।
2. खरना (21 अक्टूबर 2025)
दूसरे दिन पूरे दिन उपवास रखने के बाद शाम को व्रती गुड़-चावल की खीर, रोटी और केला प्रसाद के रूप में बनाते हैं। इस प्रसाद को परिवार और पड़ोसियों के साथ बांटकर खाया जाता है। इसके बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं, जिसमें पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती।
3. संध्या अर्घ्य (22 अक्टूबर 2025)
तीसरे दिन व्रती घाट पर जाकर अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देते हैं। महिलाएं इस दौरान पारंपरिक गीत गाती हैं और घाट पर लोकनृत्य भी होता है। पूरा वातावरण भक्ति और आस्था से भर जाता है।
4. उषा अर्घ्य (23 अक्टूबर 2025)
चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस समय लाखों श्रद्धालु नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य देव से परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं। अर्घ्य के बाद प्रसाद वितरण और व्रत का समापन होता है।
छठ पूजा की पौराणिक कथा
छठ पूजा की कई पौराणिक मान्यताएँ हैं:
- रामायण कथा – जब भगवान श्रीराम और सीता माता अयोध्या लौटे, तब सीता माता ने कार्तिक मास में छठ व्रत किया था।
- महाभारत कथा – माना जाता है कि कुंती पुत्र कर्ण, जो सूर्य पुत्र कहलाए, वह भी सूर्य की उपासना करते थे।
- छठी मैया की महिमा – लोक मान्यता है कि छठी मैया बच्चों की रक्षा करती हैं और संतान सुख देती हैं।
छठ पूजा का महत्व
- यह पर्व सूर्य देव और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का माध्यम है।
- व्रत रखने से मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है।
- इसे सबसे कठोर व्रतों में से एक माना जाता है।
- यह पर्व पारिवारिक एकता, सामाजिक सद्भाव और अनुशासन का प्रतीक है।
क्षेत्रीय महत्व
- बिहार और झारखंड – यहां छठ पूजा सबसे बड़े पर्व के रूप में मनाई जाती है।
- उत्तर प्रदेश (पूर्वांचल) – पूरे गांव और कस्बे सामूहिक रूप से घाट सजाते हैं।
- नेपाल – यहां भी छठ पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है।
- विदेशों में – मॉरीशस, फिजी, यूके और अमेरिका में बसे भारतीय भी छठ पूजा करते हैं।
छठ पूजा की खास बातें
- छठ पूजा में पूजा की थाली (सूप) में गन्ना, केला, मिठाई, ठेकुआ और फल रखे जाते हैं।
- व्रती नए और सादे वस्त्र पहनते हैं, आमतौर पर महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनते हैं।
- छठ गीत और लोकधुनें इस पर्व की आत्मा मानी जाती हैं।
निष्कर्ष (सारांश)
छठ पूजा 2025 आस्था, अनुशासन और कृतज्ञता का अद्वितीय संगम है। यह सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति और मनुष्य के बीच गहरे संबंध का प्रतीक है। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत में शुद्धता, तपस्या और विश्वास की ऐसी मिसाल देखने को मिलती है, जो अन्य कहीं दुर्लभ है।
सूर्य देव और छठी मैया की पूजा से परिवार में सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस पर्व की खासियत यही है कि इसमें न कोई आडंबर है और न किसी भव्य आयोजन की आवश्यकता—बस शुद्ध मन, अटूट आस्था और कृतज्ञता ही छठ पूजा का असली आधार है।