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Sakat Chauth 2026 कब है? तिथि, महत्व, कारण और संकष्टी चतुर्थी से अंतर

Sakat Chauth 2026 कब है? तिथि, महत्व, कारण और संकष्टी चतुर्थी से अंतर

Sakat Chauth क्या है, महिलाएँ क्यों रखती हैं, संतान से जुड़ा महत्व हिंदू धर्म में सकट चौथ का व्रत विशेष रूप से माताओं द्वारा संतान की लंबी आयु, सुख और कल्याण के लिए रखा जाता है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है और इसे संकष्टी चतुर्थी का ही एक विशेष रूप माना जाता है। हर साल माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चौथ मनाई जाती है। इस व्रत का धार्मिक और भावनात्मक महत्व बहुत गहरा है।

सकट चौथ कब है? (तिथि और समय)

सकट चौथ 2026 में 23 जनवरी (शुक्रवार) को मनाई जाएगी।
यह व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है।

सकट चौथ के दिन व्रती महिलाएँ पूरे दिन निर्जल या फलाहार व्रत रखती हैं और रात्रि में चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं। चंद्र दर्शन का समय स्थान के अनुसार अलग-अलग हो सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग देखना शुभ माना जाता है।

Sakat Chauth 2026 कब है? तिथि, महत्व, कारण और संकष्टी चतुर्थी से अंतर

सकट चौथ क्यों मनाई जाती है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सकट चौथ का व्रत संतान सुख और संतान रक्षा के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा से व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से संतान से जुड़ी परेशानियाँ दूर होती हैं।

पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि एक बार भगवान गणेश ने एक माता की भक्ति से प्रसन्न होकर उसके पुत्र को जीवनदान दिया था। तभी से यह व्रत माताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाने लगा।

सकट चौथ का धार्मिक महत्व

सकट चौथ का व्रत केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास से जुड़ा हुआ है। इस दिन:

  • भगवान गणेश की पूजा से विघ्नों का नाश होता है
  • संतान की आयु और स्वास्थ्य की कामना की जाती है
  • परिवार में सुख-शांति बनी रहती है
  • मानसिक शक्ति और धैर्य में वृद्धि होती है

इसी कारण यह व्रत विशेष रूप से माताओं द्वारा पूरे नियम और श्रद्धा के साथ किया जाता है।

सकट चौथ व्रत महिलाएं क्यों रखती हैं?

परंपरा के अनुसार, सकट चौथ का व्रत मां और संतान के रिश्ते से जुड़ा हुआ है।
माना जाता है कि जिस प्रकार करवा चौथ पति की लंबी उम्र के लिए होता है, उसी प्रकार सकट चौथ संतान की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए किया जाता है।

इस व्रत में महिलाएं दिनभर निर्जल या फलाहार व्रत रखती हैं और रात में चंद्र दर्शन के बाद ही भोजन करती हैं।

संकष्टी चतुर्थी और सकट चौथ में क्या अंतर है?

अक्सर लोगों के मन में यह प्रश्न रहता है कि संकष्टी चतुर्थी और सकट चौथ क्या एक ही हैं या अलग-अलग। दोनों में अंतर समझना जरूरी है।

संकष्टी चतुर्थी
यह हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आती है और भगवान गणेश को समर्पित होती है। इस दिन व्रत रखने से संकटों से मुक्ति मिलने की मान्यता है।

सकट चौथ
सकट चौथ भी संकष्टी चतुर्थी ही होती है, लेकिन यह माघ महीने की संकष्टी चतुर्थी को मनाई जाती है। इसे विशेष रूप से संतान सुख से जोड़कर देखा जाता है।

सरल शब्दों में कहें तो
हर सकट चौथ संकष्टी चतुर्थी है, लेकिन हर संकष्टी चतुर्थी सकट चौथ नहीं होती।

सकट चौथ चंद्र दर्शन का महत्व

सकट चौथ का व्रत चंद्रमा के दर्शन के बिना अधूरा माना जाता है।
चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है। माना जाता है कि चंद्र दर्शन से मानसिक शांति मिलती है और व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है।

सकट चौथ का सारांश

सकट चौथ माघ मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है और संतान की रक्षा, सुख और दीर्घायु के लिए किया जाता है। सही विधि, श्रद्धा और विश्वास के साथ रखा गया सकट चौथ का व्रत जीवन में सकारात्मक फल देने वाला माना जाता है।

Disclaimer (अस्वीकरण)

यह लेख धार्मिक मान्यताओं और सामान्य पंचांग जानकारी पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी की पुष्टि ramshalaka नहीं करता

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