भगवान गणेश को विघ्नहर्ता (संकटों को हरने वाला) और बुद्धि के देवता माना जाता है। ‘जय गणेश देवा’ आरती में उनके रूप, गुण और कृपा का वर्णन है। यह आरती हर शुभ कार्य की शुरुआत में गाई जाती है ताकि कार्य निर्विघ्न पूरा हो।
जो व्यक्ति श्रद्धा से यह आरती करता है, उसके जीवन से बाधाएं दूर होती हैं और उसे सफलता, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है। यह आरती विशेष रूप से गणेश चतुर्थी, मंगलवार, और संक्रांति जैसे पर्वों पर की जाती है।
भगवान गणेश की आरती से अपने दिन की शुरुआत करें और हर कार्य में विजय पाएं।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
एकदंत, दयावंत, चार भुजाधारी,
माथे पर तिलक सोहे, मूषक वाहन सवारी॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा,
लड्डू का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
अंधे को आँख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजिए सेवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा